बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
अथवा
'पंत प्रकृति के कवि हैं। विवेचन कीजिए।
"अथवा
पंत प्रकृति के सुकुमार कवि है। तर्क दीजिए।
अथवा
"पन्तजी कोमल कल्पना के सुमधुर कवि हैं। सोदाहरण कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
"पन्तजी मूलतः प्रकृति के कवि हैं।' सोदाहरण सिद्ध कीजिए।
अथवा
पंत के काव्य में 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' का सफल समन्वय हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
'पंत मूलतः प्रकृति के कवि हैं। इस कथन की सत्यता प्रमाणित कीजिए।
अथवा
पंत प्रकृति सुकुमार कवि हैं। इस कथन के आधार पर पन्त के प्रकृति चित्रण की मौलिकता का निरूपण कीजिए।
उत्तर -
सुमित्रानन्दन पन्तजी प्रकृति के सुकोमल कवि के रूप में समादृत हैं। डॉ. नगेन्द्र के अनुसार, "पन्तजी मूलतः प्रकृति के कवि हैं। उनकी काव्य-चेतना के निर्माण में प्रकृति का विशेष प्रभाव है"। पन्तजी ने तो स्वयं ही वह स्वीकार किया है कि उनको काव्य-रचना करने की प्रेरणा भी प्रकृति से ही प्राप्त हुई है। उन्होंने स्वीकार किया है - "कविता की प्रेरणा मुझे सबसे पहले प्रकृति-निरीक्षण से मिली है, जिसका श्रेय मेरी जन्मभूमि कूर्माचल प्रदेश को है।' यही तथ्य वे 'रश्मि-बन्ध' (परिदर्शन) में भी स्वीकार करते हैं- "मेरे भीतर ऐसे संस्कार अवश्य रहे होंगे, जिन्होंने मुझे कवि की प्रेरणा दी, किन्तु उस प्रेरणा के विकास के लिए स्वप्नों के पालनों की रचना पर्वत प्रदेश की दिगंतव्यापी प्राकृतिक शोभा ही ने की, जिसने छुटपन से ही मुझे अपने रुपहले एकान्त में एकाग्र तन्मयता के रश्मि दोल में झुलाया, रिझाया तथा कोमलकंठ वन पाखियों के साथ बोलना- कुहकना सिखलाया।"
प्रकृति को ही 'सत्यं शिवम् सुन्दरम्' का रूप माना गया है तथा पन्त जी ने अपने काव्य में इन तीनों रूपों का समन्वय किया है।
(1) आलम्बन रूप में - आलम्बन रूप में प्रकृति कवि के लिए साधन न होकर साध्य बन जाती है। प्रबन्ध काव्य में प्रकृति के संश्लिष्ट चित्र के लिए अधिक अवकाश रहता हैं किन्तु गीतिकाव्य में हमें प्रकृति का समग्र रूप एक साथ नहीं मिल पाता। पन्तजी ने गीतों की रचना की है। अतः उनके गीतों में प्रकृति के अनेक तंत्रों के स्पर्श तक एक साथ केन्द्रित रूप में अभिव्यक्त नहीं हो पाये। इस प्रणाली के अन्तर्गत 'संश्लिष्ट चित्रण प्रणाली और नाम परिगणन शैली दोनों रूप दृष्टव्य हैं। 'बादल', 'आँसू', 'बसन्त श्री', 'परिवर्तन', 'गुंजन', 'एक तारा', 'नौका-विहार', 'हिमाद्रि' आदि कविताओं में यह प्रणाली अपने पूरे आवेग के साथ उभरकर सामने आयी है -
पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश
पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश।
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग सुमन फाड़
अवलोक रहा है बार-बार
इस प्रकार के चित्रों में प्रकृति की रमणीयता को ही उभारा गया है।
'नाम परिगणन शैली के आधार पर प्रकृति का आलम्बन रूप 'कलरव', 'ग्राम्या', 'ग्रामश्री' आदि कविताओं में उभरा है -
मगते कटहल, मुकुलित जामुन, जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आडू, नीबू, दाड़िम, आलू, गोभी, बैंगन, मूली।
(2) उद्दीपन रूप - जहाँ प्रकृति मानव भावनाओं का उद्दीपन करती है, वहाँ प्रकृति का यही रूप होता है। इसमें सुखद क्षणों (संयोगादि) में और सुखद क्षणों (वियोगादि) में कवि भावों को उद्दीप्त करने के लिए प्रकृति का उपयोग करता है। पन्तजी ने दोनों प्रणालियों को अपनाया है। 'मधुस्मिति', 'मधुवन', 'गृहकाज', 'गुंजन', 'मिलन', 'प्रथम मिलन' आदि कविताओं को उत्तेजना प्रदान करती है।
डोलने लगी मधुर मधु वात, हिलातॄण व्रतति कुंज तरुपात,
डोलने लगी प्रिये ! मृदु वात, गुंज- मधु-गंध-धूल हिमगात।
आज मुकुलित कुसुमित सब ओर, तुम्हारी छवि की छटा अपार,
फिर रहे उन्मद मधु प्रिय भौंर, नयन पलकों के पंख पसार।
वियोग के क्षणों में प्रकृति का उद्दीपनकारी रूप 'ग्रंथि', 'आँसू', 'उच्छ्वास आदि कविताओं में उभरा है -
देखता हूँ जब उपवन, पियालों में फूलों के
प्रिये ! भर-भर अपना यौवन पिलाता है मधुकर को।
(3) संवेदनात्मक रूप - यह दो प्रकार का होता है (क) जहाँ प्रकृति मानव के उल्लास के साथ आनन्दित दिखायी जाती है। (ख) जहाँ प्रकृति भी दुःखी मानव के साथ आँसू बहाती है। पन्तजी ने दोनों ही चित्र उभारे हैं।
(4) रहस्यात्मक रूप में - प्रकृति में ईश्वर की व्याप्ति है, क्योंकि ईश्वर समस्त जगत में व्याप्त है। अतः प्रकृति में परम तत्व का आभास करते ही कवि रहस्यवादी हो जाता है।
एक छवि के असंख्य उड्डुगन,
एक ही सब में स्पन्दन।
कवि को कोई निमंत्रण दे रहा है, पर वह कौन है? यही तो जिज्ञासा भाव है -
न जाने तपक तड़ित मैं कौन,
मुझे इंगित करता मौन।
न जाने सौरभ के मिस कौन,
संदेशा मुझे भेजता मौन।
(5) प्रतीकात्मक रूप - वर्तमान काव्य में प्रकृति का प्रयोग प्रतीकों के रूप में भी क्रिया है। प्रायः प्रकृति के उपकरण विविध भावों, रूपों एवं क्रियाओं के प्रतीक बनकर आधुनिक युग के काव्य से उभरे हैं। पन्तजी ने प्रकृति का प्रयोग प्रतीकों के रूप में किया है -
अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ।
खुले भी न थे लाज के बोल, खिले भी चुम्बन शून्य कपोल।
हाय ! रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अंगार।
वातहत लतिका वह सुकुमार, पड़ी है छिन्नाधार।
(6) अलंकार रूप में - प्रकृति के विभिन्न उपकरणों का प्रयोग उपमान के रूप में पर्याप्त समय से होता रहा है। पन्तजी ने भी उस क्रम में स्वाभाविक रूप से उनका प्रयोग किया है। 'मधुबाला की सी गुंजार', 'वारि - बिम्ब सा विकल हृदय', 'इन्द्रचाप सा वह बचपन', 'विहग बालिका का सा मृदुस्वर' 'तरल तरंगों सी वह लीला' जैसे प्रयोग दृष्टव्य हैं। 'परिवर्तन' और आँसू' कविता में तो उपमाओं का प्रयोग विशेष रूप से उल्लेखनीय है -
मेरा पावस ऋतु सा जीवन, मानस-सा उमड़ा अपार मन,
गहरे, धुंधले धुले, साँवले मेघों से भरे-भरे नयन !
(7) मानवीकरण रूप में - प्रकृति का मानवीकरण छायावाद की एक महत्वपूर्ण विशिष्टता है। प्रकृति पर चेतना का आरोप ही मानवीकरण है। डॉ. किरण कुमारी के अनुसार, "हिन्दी काव्य में आधुनिककाल में ही प्रकृति के मानवीकरण के दर्शन होते हैं। अंग्रेजी में रोमांटिक काव्य के प्रभावस्वरूप छायावादी काव्य में इस प्रकार के प्रयोग प्रचुर मात्रा में हैं।' संस्कृत में 'मेघदूत' इसका उदाहरण है। पन्त के काव्य में यह प्रयोग प्रचुर मात्रा में मिलता है। शरद, निशा, बाल आदि विभिन्न रूपों को मूर्त रूप में चित्रित किया गया है -
कौन-कौन तुम परिहत वसना,
म्लान मना भूपतिता-सी
वात-हता विच्छिन्न लता-सी,
रति श्रान्ता ब्रज वनिता -सी।
प्रकृति की गोद में जन्मे पन्त, प्रकृति के कवि के रूप में विख्यात हैं और इन्होंने अपने भाव -चित्रों की साज-सज्जा, उन्मुक्त प्रकृति के सहज सुकुमार उपकरणों एवं रंगों से की है। श्री शान्तिप्रिय द्विवेदी की मान्यता है - "कवि प्रकृति के ध्वंस और निर्माण जगत् में उन्मुक्त हो गया है।"
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।